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सीधे चल कर भी वहीं पहुँचोगे, और ठोकरें खा-खा कर भी || आचार्य प्रशांत, गुरु नानक पर (2014)

2019-11-25 2 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१६ जुलाई २०१४<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />पौढ़ी (जपुजी साहिब) :<br />सेई तुधुनो गावहि जो तुधु भावनि रते तेरे भगत रसाले ॥<br /><br />अर्थ: जो तुझे भाते हैं वही तुझे गाते हैं| तेरे भक्त तेरे रस में डूबे रहते हैं |<br /><br />प्रसंग:<br />"सीधे चल कर भी वहीं पहुँचोगे, और ठोकरें खा-खा कर भी" इस संदर्भ में गुरु नानक हमें क्या सीखा रहें है?<br />जो तुझे भाते हैं वही तुझे गाते हैं का क्या अर्थ है?<br />मन को सीधे चलना क्यों नहीं भाता है?<br />"तेरे भक्त तेरे रस में डूबे रहते हैं" यहाँ रस कहने से क्या आशय है?

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